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Harvest: An International Multidisciplinary and Multilingual Research Journal
E-ISSN :
2582-9866
Impact Factor: 5.4
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Volume II Issue II April-June 2022
Name of Author :
Dr. Shailja Vasudeva
Title of the paper :
स्वतंत्रता के पश्चात भारतीय समाज में क्ांततकारी पररवततन
Abstract:
स्वतंत्रता प्राप्तत के बाद में समाज के कई पहलू में परिवततन हुए। स्वतंत्रता से पहले समाज का स्वरूप अलग व स्वतंत्रता के पश्चात समाज का स्वरूप बदल के अलग हो गया। इसके दौिान सामाप्जक, िाजनीततक व सांस्कृततक रूप में क्ांततकािी परिवततन आए। उपतनवेशवाद के चलते भाितीय समाज अपना पहला रूप खो चुका था जो स्वतंत्रता प्राप्तत के बाद प्रातत हुआ। स्वतंत्रता केवल एक शब्द ही नहीं है बप्कक वह भावना, वह बललदान है जो हमािे वीि वह वीिांगनाओं के खून व त्याग से होकि गुजिा है। स्वतंत्रता के ललए बहुत सी लडाइयां लडी गई। प्जसकी शुरुआत सवतप्रथम 1857 की क्ांतत से मानी जाती है। इसे प्रथम भाितीय स्वतंत्रता संग्राम, लसपाही ववद्रोह औि भाितीय ववद्रोह के नाम से भी जाना जाता है। ब्रिटिश शासन के ववरुद्ध यह एक सशक्त ववद्रोह था। औि इस लडाई के बाद 1947 में जाकि हमें स्वतंत्रता की प्राप्तत हुई। औि समाज में कई परिवततन देखने को लमले हैं जो आज भी देखे जा सकते हैं। कोई भी सामाप्जक परिवततन अगि होता है तो उसके पीछे संघर्षों की एक लंबी कहानी तछपी होती है प्जनमें से कई कहानी छप गई है औि कई आज तक तछपी हुई है। स्वतंत्रता प्राप्तत के बाद भाितीय समाज में क्या-क्या परिवततन आए हैं, यह जानना अतत आवश्यक है। इस शोध लेख में स्वतंत्रता प्राप्तत के बाद आए भाितीय समाज के अनगगनत बदलावों की व्याख्या की गई है।
Keywords :
भाित, उपतनवेशवाद, स्वतंत्रता संग्राम, भाितीय समाज, क्ांततकािी परिवततन, तकनीकी, िाजनीतत व आगथतक प्स्थतत।
DOI :
Page No. :
91-98