Harvest:An International Multidisciplinary and Multilingual Research Journal
Home
About Us
About the Journal
Mission
Publication Schedule
Editor's Role
Editorial Policy
Privacy Policy
Copyright Notice
Publication Ethics
Peer Review Process
Feed Back
FAQ
Submission
Guidelines for Submission
Author’s Guidelines
Download Copyright Form
Editorial Board
Current Issue
Archives
Special Issues
Contact
Follow us on Social Media
Harvest: An International Multidisciplinary and Multilingual Research Journal
E-ISSN :
2582-9866
Impact Factor: 5.4
Home
About Us
About the Journal
Mission
Publication Schedule
Plagiarism
Editor's Role
Editorial Policy
Privacy Policy
Copyright Notice
Publication Ethics
Peer Review Process
Feed Back
FAQ
Submission
Guidelines for Submission
Author’s Guidelines
Download Copyright Form
Editorial Board
Current Issue
Archives
Special Issues
Contact
Archives
Home
Archives
Archives
Volume II Issue II April-June 2022
Name of Author :
Dr. Shailja Vasudeva
Title of the paper :
उपनिवेशवाद का भारतीय समाज पर प्रभाव
Abstract:
16 व ीं शताब्दी के आखिरी साल में ददल्ली की गद्दी पर मुगल बादशाह जलालुद्दीन मोहम्मद अकबर ववराजमान थे। यह दुननया के सबसे अम र बादशाहो में से एक थे। दूसरी तरफ ब्रिटेन में गृह युद्ध चल रहा था, दुननया के कुल उत्पादन का 3 फीसदी माल ही ब्रिटेन में उत्पन्न हो पाता था। यूरोप की पुततगाली शक्ततयाीं ब्रिटेन को प छे छोड़ चुकी थ । उस दौरान ब्रिटेन के समुद्री लुटेरे पुततगाल और स्पेन के जहाजों को लूट कर सींतुष्ट हो जाया करते थे। उस दौरान घूमन्नतु ब्रितान व्यापारी राल्फ फफींज को दक्षिण पूवत एशशया की व्यापाररक यात्राएीं करते हुए भारत की समृद्धध के बारे में पता चला। और व्यापार का शसलशसला शुरू हो गया। भारत में 1608 में भारत के सूरत बींदरगाह पर ईस्ट इींडिया के आने का ऐलान कैप्टन ववशलयम हॉफकींस ने फकया। अींग्रेजों के आने से पहले भारत में व्यापार पुततगाली व िच पहले से ही कर रहे थे। जब ईस्ट इींडिया कींपन की स्थापना की घोषणा की गई उसमें पुततगाशलयों व िच के जहाज दहींद महासागर में पहले ही मौजूद थे। जब ईस्ट इींडिया कींपन की स्थापना की घोषणा की गई उस समय पुततगाशलयों व िच के जहाज दहींद महासागर में पहले ही मौजूद थे। दूसरी तरफ अकबर की मृत्यु हो गई। ऐसा माना जाता है फक वह अपने प छे 3 करोि रुपए की कीमत वाला सामान छोड़ गया। अकबर के पुत्र जहाींग र ने थॉमस रा के साथ एक व्यापाररक समझौते पर हस्तािर कर ददए। फफर ध रे-ध रे ईस्ट इींडिया कींपन स्थावपत हो गई। और लींबे समय के बाद 1874 में यह कींपन भींग कर दी गई थ । लेफकन ईस्ट इींडिया कींपन ने भारत यों के ऊपर अधधकार जमाना अींग्रेजों को शसिा ददया था और यहीीं से उपननवेशवाद की शुरुआत मान जात है। जम न हमारी, िेत हमारी, देश हमारा लेफकन हकूमत अींग्रेजों की। इनतहास में 15 व शताब्दी से लेकर ब सव ीं शताब्दी तक का काल उपननवेशवाद का काल रहा है। यूरोप के लोगों ने ववश्व के अलग-अलग भागों में उपननवेश बनाए। उपननवेशवाद का मुख्य कारण अींग्रेजों का स्वाथत था जैसे लाभ कमाने की लालसा, मातृभाषा की शक्तत पूरे ववश्व में कायम करने की चाहत, अपन सींस्कृनत का एांड गॉड अथातत समस्त यूरोप के राष्िों का ध्यान सोना कीनतत व भगवान पर केंदद्रत हो गया। और उनका दिपल ज की न नत का स्वपन केवल भारत को उपननवेश बनाने से ही पूरा हो सकता था। इस कारण भ उपननवेशवाद को बढावा शमला। इसके अनतररतत यूरोप में उद्योगों की स्थापना हुई। उन उद्योगों के शलए कच्चा माल की चाह में भ यूरोप य राशशयों का ध्यान अफ्रीकी एवीं एशशयाई देशों की तरफ आकवषतत हुआ। कच्चा माल जैसे ही उन्हें प्राप्त होने लगा तो नए-नए माल की उत्पादकता बढत चली गई। उसके बाद इस माल की िपत के शलए उपननवेश बनाए गए देशों की जरूरत थ इसशलए उपननवेश बनाना बहुत ज्यादा जरूरी समझा गया और औपननवेशशक देश पर जबरन ननशमतत माल की िरीद व ननयातत के शलए बाध्य फकया जाने लगा था। और उपननवेश से इतना फायदा देि ववश्व में देशों को उपननवेश बनाने का प्रचलन बढता चला गया।
Keywords :
उपननवेशवाद, भारत, भारत य समाज, सामाक्जक प्रभाव , नकारात्मक, सकारात्मक
DOI :
Page No. :
99-108